मध्य प्रदेश की जनजातियाँ अपने पारम्परिक नृत्यों से लुभा रही हैं देश और दुनिया को ।
Updated: 2022-03-30 20:15:00
भारत विविध संस्कृतियों और परंपराओं का देश है ! विविधताएं भारतीय संस्कृति को विशिष्ट बनाती हैं। यहाँ हर दिन त्यौहार और समारोह होते हैं, और खुशी और उत्सव व्यक्त करने के लिए अलग अलग प्रकार के गान तथा नृत्य किए जाते हैं ।
भारत की इस विशेष विविधता में मध्य प्रदेश का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यहाँ भारत की सबसे पुरानी जनजातियाँ निवास करती हैं और आज के आधुनिक दौर में भी ये जनजातियाँ अपनी परंपरा को अपने लोक महोत्सव , लोक गान तथा अपने लोक नृत्यों की बदौलत कायम रखे हुए हैं। इसलिए आज हम जानेंगे मध्य प्रदेश की कुछ प्रमुख जनजातियों के बहुचर्चित लोक नृत्यों तथा उनके महत्व के बारे में।
1. भील जनजाति का भगोरिआ नृत्य
मध्य प्रदेश के झाबुआ, अलीराजपुर और धार मे रहने वाले भीलों द्वारा भगोरिया नृत्य किया जाता है।
क्या है महत्व - भारत की सबसे बड़ी जनजाति भील का यह नृत्य एक अनोखे भगोरिआ त्योहार का हिस्सा है, जो युवा पुरुषों और महिलाओं को एक दूसरे के संग भाग जाने की अनुमति देता है, लेकिन इसका अपना कृषि महत्व है - फसल का मौसम पूरा होना। यह फाल्गुन के चंद्र महीने में होली से पहले मनाया जाता है ।
इस मनोरंजक नृत्य की वीडियो देखने के लिए नीचे दी गयी यूट्यूब लिंक पर क्लिक करें
https://www.youtube.com/watch?v=nMgT-vF8XA8
2. बैगा जनजाति का कर्मा नृत्य
कर्मा नृत्य बैगा जनजाति का प्रमुख लोकनृत्य है। बैगा के अलावा गोंड तथा ओराओं जनजाति भी कर्मा नृत्य करती हैं । इस नृत्य मे बैगा पुरुष बीच मे खड़े होकर वाद्ययंत्र बजाते है और महिलाएं गोल घेरे बनाकर एक दूसरे के कमर में हाथ डालकर घूम-घूम कर गीत गाते हुए नृत्य करती है ।
क्या है महत्व - इस नृत्य में बैगा अपने कर्मों को नृत्य-गीत के माध्यम से प्रस्तुत करते है , इसी कारण इस नृत्य-गीत को कर्मा कहा जाता है। कर्मा नृत्य विजयदशमी से वर्षा के प्रारंभ होने तक चलता है।
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https://www.youtube.com/watch?v=JW-N_VvO738
3. गोंड जनजाति का सैला नृत्य
यह नृत्य मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की गोंड जनजाति द्वारा किया जाता है । सैला एक अनूठा नृत्य है जिसमें नर्तक लयबद्ध उद्देश्य के लिए लाठी का उपयोग करते हैं। प्रत्येक नृतक एक पैर पर खड़ा होता है और सामने नर्तक को पकड़कर खुद का समर्थन करता है। फिर वे सभी एक साथ गोल-गोल कूदते हैं।
क्या है महत्व - यह नृत्य फसल की कटाई के बाद किया जाता है। जब अनाज घर में आ जाता है और मेहनत के रंग खेतों से होकर घर के आंगनों में बिखरने लगते है तो चारों ओर हर्ष उल्लास का माहौल होता है। ऐसे में एक गीत खुद-ब-खुद मुंह से निकलता है...ये जिंदगी रहेला चार दिन...। मतलब छोटी सी जिंदगी है तो क्यों न हंस-खेल कर बिताई जाए।
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https://www.youtube.com/watch?v=WnIAf6yG-eY
4. बंजारा और कंजर जनजातियों का लेहंगी नृत्य
मानसून के मौसम में किया जाने वाला, लहंगी मध्य प्रदेश के कंजर और बंजारा जनजातियों का लोक नृत्य है । हाथों में लाठी लेकर, पुरुष इस नृत्य शैली को करते हैं और कुछ कलाबाजी भी करते हैं जो कि नृत्य में एक नाटकीय स्पर्श जोड़ता है।
क्या है महत्व - आमतौर पर लेहंगी नृत्य रक्षाबंधन समारोह का एक हिस्सा है, पर सावन ऋतु में वर्षा के लिए भगवान को धन्यवाद कहने तथा अपने उत्साह को प्रकट करने के लिए यह नृत्य किया जाता है
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https://www.youtube.com/watch?v=wzYAQJIShUY
5. मारिया जनजाति का गौर नृत्य
गौर नृत्य मध्य प्रदेश छत्तीसगढ का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है और सिंग मरिया या तल्लागुडा मारिया में लोकप्रिय है। इसमें पुरुष सिर पर कपड़े पहने हुए जिसमें स्ट्रिंग ' कौरी ' और मोर पंख होते हैं, शामिल होते हैं, जो नृत्य के मैदान में अपना रास्ता बनाते हैं। वे ढोल पीटते हैं, अपने सिर-गियर के सींगों और पंखों को ऊपर की ओर उछालते हैं, जो नृत्य को एक शानदार स्पर्श देता है। टैटू वाले शरीर के चारों ओर पीतल की पट्टियों और मोतियों के हार से अलंकृत महिलाएं भी सभा में शामिल होती हैं।
क्या है महत्व - गंगौर पूजा के दौरान एक प्रथा के रूप में गौर नृत्य किया जाता है । युवा लड़कियां एक सुंदर और अद्भुत पति के लिए पूरी ईमानदारी और विश्वास के साथ भगवान से प्रार्थना करती हैं। विवाहित महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं ।
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https://www.youtube.com/watch?v=5piKfzhJEgo